Loans For Self Help Groups - Agri & Rural
स्वयं सहायता समूहों के ऋण
स्वयं सहायता समूहों के ऋण
ऋण का प्रयोजन
- (i) समूह अपने सदस्यों को जिन प्रयोजनों से ऋण देगा, इसे समूह के विवेक पर छोड़ देना चाहिए।
- (ii) आरंभिक चरणों में समूह उद्यमों के लिए स्वयं सहायता समूहों को ऋण नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे समान्यतया विफल हो चुके होते हैं। छूट की सावधानीपूर्वक जांच एवं पर्यवेक्षण किया जाना चाहिए।
- (iii) स्वयं सहायता समूहों को ऋण प्रयोजन तटस्थ ऋण होने चाहिए। बैंक सम्पूर्ण वित्तीय समावेशन की संकल्पना को अपनाएँगे और स्वयं सहायता समूह सदस्यों की समस्त ऋण आवश्यकताओं की पूर्ती करेंगे यथा क) आय सृजन गतिविधियां, ख) आवास, शिक्षा, विवाह आदि जैसी सामाजिक आवश्यकताएँ तथा ग) ऋण की अदला-बदली।
पात्र स्वयं सहायता समूहों को सीधी एवं निम्नलिखित उत्पादों के अंतर्गत ऋण दिया जा सकता है, जिसमें आवास जरूरतें, आय सृजन गतिविधियां शामिल हैं तथा उपभोग का घटक भी शामिल होगा, ताकि स्वयं सहायता समूह के सदस्यों की समस्त ऋण जरूरतों की पूर्ति की जा सके:
- i) स्वयं सहायता समूहों के भावी बचत कार्पस के आधार पर 3 से 5 वर्षों के लिए नकदी ऋण सीमा संस्वीकृत करना।
- ii) स्वयं सहायता समूहों की परियोजना आधारित जरूरतों के आधार पर मीयादी ऋण की संस्वीकृति।
विशेषताएं
- (i) स्वयं सहायता समूहों को उनकी जरूरत के अनुसार ऋण अधिमानी रूप से नकदी ऋण एवं मीयादी ऋण के रूप में दिए जाते हैं। स्वयं सहायता समूह को 3 से 5 वर्ष की लंबी परिचालन अवधि के लिए नकदी ऋण संस्वीकृत करने/ओवरड्राफ्ट देने की प्रक्रिया को अपनाया जाए, जिससे स्वयं सहायता समूहों को बढ़ती हुई समूह बचत राशियों के अनुरूप बड़े ऋण लेने की अनुमति दी जा सके। इस रवैये से स्वयं सह्यता समूहों को अपनी बार-बार की जरूरतों की पूर्ति करने तथा ऋण की लागत को घटाने में पर्याप्त लचीलापन प्राप्त होगा।
- (ii) इस तरह संस्वीकृत सीमा की समीक्षा प्रत्येक वर्ष की जाएगी और संवितरण की सीमा को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित बचत कार्पस अनुपात में बढ़ाया जा सकता है। वार्षिक समीक्षा के समय यह भी सुनिश्चित किया जाए कि मासिक ब्याज अदा करने के अलावा, परिचालन वर्ष के दौरान सभी अथवा कम से कम 30% मूल आहरण की चुकौती जाती है।
- (iii) तथापि, उन सरकारी योजनाओं जहां बैक एंडेड सब्सिडी उपलब्ध है तथा मीयादी ऋणों की चुकौती करने पर सब्सिडी दी जाती है, के मामले में स्वयं सहायता समूह को मीयादी ऋण दिए जा सकते हैं। मीयादी ऋण उन स्वयं सहायता समूहों को भी दिया जा सकता है, जहां समूह के सभी सदस्य एक ही गतिविधि से जुड़े हों तथा समूह द्वारा इसी गतिविधि के लिए बैंक से ऋण लिया गया हो। ऊपर उल्लिखित से भिन्न सभी मामलों में स्वयं सहायता समूहों को नकदी ऋण सीमा दी जाएगी। स्वयं सहायता समूह के सदस्य समूह से मीयादी ऋण प्राप्त करेंगे, जिसकी चुकौती 3 से 5 वर्षों में मासिक/तिमाही/अर्ध वार्षिक किस्तों में की जाएगी। यह समूह द्वारा की जाने वाली गतिविधि के नकदी प्राव के समय अदा की जाएगी।
- मार्जिन एवं प्रतिभूति मानदंड : नाबार्ड द्वारा जारी किए गए परिचालनात्मक दिशानिर्देशों के अनुसार, बैंकों द्वारा स्वयं सहायता समूहों को बचत से जुड़े ऋण संस्वीकृत किए जा सकते हैं (बचत-ऋण के 1:1 से 1:4 के अनुपात में)। तथापि परिपक्व स्वयं सहायता समूहों के मामले में बैंक के विवेक पर बचत राशि से चार गुना अधिक ऋण दिए जा सकते हैं। अनुभव से पता चला है कि समूह की गतिशीलता एवं समकक्ष दबाव से स्वयं सहायता समूह के सदस्यों से उत्कृष्ट वसूली हुई है। ऐसे में स्वयं सहायता समूहों को दिए जाने वाले अग्रिमों के लिए कोई भी प्रतिभूति लेने की आवश्यकता नहीं। सूक्ष्म ऋण पर भारतीय रिज़र्व बैंक के परिपत्र के अनुसार प्रयोगिक परियोजना के अंतर्गत मार्जिन एवं प्रतिभूति मानदंडों के मामले में बैंकों दी गई लचीलापन प्रयोगिक चरण के बाद भी जारी रहेगी।
- ऋण संवितरण : ऋण राशि का संवितरण पूरी तरह से ‘नकद’ में किया जा सकता है। सभी लेनदेन स्वयं सहायता समूह के बचत बैंक खाते के जरिए किए जाते हैं।
- ब्याज दर : स्वयं सहायता समूह/सदस्य लाभार्थियों को दिए जाने वाले ऋणों पर प्रयोज्य ब्याज दरों के बारे में निर्णय लेने का अधिकार बैंकों को होगा। 21 फरवरी 2011 के हमारे परिपत्र क्रमांक आरबी-एनएफ/एमसी एंड एफआई/बीएसजी/एफ-144/489 के अनुसार स्वयं सहायता समूहों के ऋणों पर ली जानी वाली ब्याज की दरों को 1 जुलाई 2010 से आधार दर के साथ जोड़ दिया गया है और इस समय 1 अप्रैल 2016 से एक वर्ष की एमसीएलआर दर से जुड़ी है। 10 जुलाई 2019 से स्वयं सहायता समूह ऋण पर लागू एमसीएलआर से 3.60% अधिक प्रभावी ब्याज दर अर्थात 12.00% प्रति वर्ष की दर का पुनर्निर्धारण एक वर्ष के बाद किया जाना चाहिए और यह समय-समय पर एमसीएलआर में परिवर्तन के अध्यधीन बढ़ या घट सकता है।
पात्रता
- (i) स्वयं सहायता समूह का आकार अधिमानतः 10 से 20 सदस्यों का हो, ताकि समूह की चर्चाओं में वैयक्तिक सदस्यों की प्रभावी सहभागिता सुनिश्चित हो। परंतु पहाड़ी क्षेत्रों एवं आदिवासी बहुल इलाकों में जहां लोग बिखरे हुए होते हैं, स्वयं सहायता समूह का न्यूनतम आकार 5 सदस्य हो सकता है। स्वयं सहायता समूह में 20 से ज्यादा सदस्य न हो। (कोई भी ऐसा व्यवसाय जिसका उद्देश्य उक्त संघ अथवा उसके वैयक्तिक सदस्यों द्वारा अभिग्रहण अथवा लाभ हो, के प्रयोजन से 20 से अधिक व्यक्तियों से युक्त संघ अथवा भागीदारी का कंपनी अधिनियम की धारा 11 (2) के तहत पंजीकरण करना आवश्यक)।
- (ii) समूह कम से कम छह महीनों की अवधि के लिए सक्रिय रूप से अस्तित्व में हो। समूह औपचारिक अथवा अनुयापचारिक हो सकता है (पंजीकृत)।
- (iii) समूह द्वारा अपने स्वयं के संसाधनों से बचत एवं ऋण परिचालन सफलतापूर्वक किए गए हो।
- (iv) समूह की लोकतांत्रिक कार्यशैली स्पष्ट होनी चाहिए, जहां सभी सदस्य अनुभव कर सकें कि वे भी अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। स्वयं सहायता समूहों की कार्य प्रणाली की समूह गतिशीलता नियंत्रित नहीं होनी चाहिए और न ही औपचारिक संरचनाएँ थोपी जाए या उसके लिए कहा जाए।
- (v) समूह द्वारा उपयुक्त खाते/अभिलेख रखे जाते हो।
- (vi) शाखा इस बात से संतुष्ट हो कि समूह परियोजना में हिस्सा लेने और उसके लाभ प्राप्त करने के प्रयोजन से अस्तित्व में नहीं आया है। एक दूसरे की सहायता करने तथा सदस्यों के साथ मिल-जुलकर कम करने की जरूरत हो।
- (vii) स्वयं सहायता समूहों की पृष्टभूमि एवं रुचि एक जैसी हो।
- (viii) गैर-सरकारी संगठन अथवा समूह की संबद्ध स्वयं सहायता संवर्धन संस्था की रुचि स्पष्ट हो तथा एजेंसी कौशल उन्नयन और उपयुक्त रूप से कार्य करने के लिए प्रशिक्षण एवं अन्य सहायता के जरिए स्वयं सहायता समूह की सहायता करती हो।
- (ix) स्वयं सहायता समूह एवं स्वयं सहायता संवर्धन संस्था/ गैर-सरकारी संगठन का संतोषजनक रूप से कार्य करने का ट्रैक रिकार्ड हो।
- (x) स्वयं सहायता समूह तथा/अथवा उनके परिवार के सदस्यों द्वारा वित्तपोषक बैंक को किए जाने वाले भुगतान में कोई चूक हुई हो, तो वह बैंकों द्वारा स्वयं सहायता समूहों के वित्तपोषण के रास्ते में बढ़ा के रूप में नहीं आना चाहिए, बशर्ते कि स्वयं सहायता समूह ने चूक नहीं किया हो। तथापि स्वयं सहायता समूह द्वारा बैंक ऋण का उपयोग उस चूककर्ता सदस्य को ऋण देने के लिए नहीं किया जा सकता, जिसने बैंक को भुगतान करने में चूक किया हो।
- (xi) स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को दो अथवा दो से अधिक स्वयं सहायता समूहों के सदस्य नहीं होने चाहिए।
- (xii) स्वयं सहायता समूह सदस्यों की बैठकों का आयोजन नियमित अंतरालों (कम से कम महीने में एक बार) पर किया जाना चाहिए तथा सदस्यों की उपस्थिति एवं सहभागिता संतोषजनक हो।
ऋण/ऋण की मात्र का निर्धारण
- (i) नाबार्ड ने संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं, जो बताते हैं कि अत्यधिक निधियों की मात्रा को संभालने में परिपक्व स्वयं सहायता समूहों की बढ़ी हुई क्षमता, स्वयं सहायता समूहों का उपभोग से सूक्ष्म उद्यम में बदलने एवं बैंकर उधारकर्ता के सुधरे हुए संबंधों के चलते यह माना जा रहा है कि बैंक अपनी बचत के 1 से 4 गुना राशि स्वयं सहायता समूहों को ऋण देने की एहतियाती स्थिति से आगे बढ़ सकेंगे, जो कि स्वयं सहायता समूह-बैंक संयोजन कार्यक्रम के प्रयोगिक चरण में निर्धारित किया गया था।
- बैंकों से दुबारा ऋण लेने वाले स्वयं सहायता समूहों को समूह के कार्पस की चार गुना से अधिक राशि के ऋण देने पर बैंक विचार कर सकते हैं। पर इसके लिए बैंक रेटिंग स्कोर में दर्शाई गई स्वयं सहायता समूह की गुणवत्ता, ऋण आमेलन क्षमता, उच्च लागत वाली आय सृजन परियोजनाओं को संभालने की प्रबंधकीय क्षमता, जोखिम लेने की क्षमता आदि को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (संदर्भ आरबीआई का मास्टर निदेश एफआईडीडी.सीओ.प्लान.1/04.09.01/2016-17 दिनांक 7 जुलाई 2016 को देखें) द्वारा निर्धारित प्रति स्वयं सहायता समूह के सदस्य को 50,000 रुपए की सीमा तक ऋण देने पर विचार कर सकते हैं।
- (ii) समूह कार्पस : समूह कार्पस जिसमें i) बैंक के पास के स्वयं सहायता समूह के बचत खाते का शेष, ii) स्वयं सहायता समूहों द्वारा आंतरिक ऋणान्वयन में प्रयुक्त राशि तथा iii)स्वयं सहायता समूह के नकद शेष शामिल हैं।
ऋण सुपुर्दगी
- (i) संभव हो तो, स्वयं सहायता समूहों और उसके सदस्यों को ऋण लगातार एवं सार्वजनिक रूप से अर्थात स्वयं सहायता समूह की नियमित बैठकों के दौरान दिए जाने चाहिए। स्वयं सहायता समूहों के पदाधिकारियों द्वारा निधियों के दुरुपयोग की संभावना से बचने/उसे रोकने की दृष्टि से इसे अनिवार्य माना जाता है। यदि यह संभव न हो तो, स्वयं सहायता समूह को ऋण सुपुर्दगी हमेशा स्वयं सहायता समूह के कई पदाधिकारियों एवं चयनित सदस्य, कम से कम एक या दो उधारकर्ताओं की उपस्थिति में दी जानी चाहिए। किसी भी स्थिति में ऋण राशि समूह के एकल प्रतिनिधि को नहीं दी जानी चाहिए।
- (ii) स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को झंझटमुक्त ऋण सुपुर्दगी करने और शाखाओं में भीड़ कम करने के लिए बैंक ने अपने बीसी के स्थान पर स्वयं सहायता समूह के लेनदेनों के लिए कियोस्क बैंकिंग चैनल की सुविधा दी है, ताकि शाखा कार्यालय में जाए बिना कार्य स्थल के पास के बीसी/सीएसपी आउटलेट के जरिए सीधे लेनदेन/निधियों का अंतरण किया जा सके। (संदर्भ संख्या सीआईआर. आरएबीजी/आरबी-I/12012-13 दिनांक 7 जुलाई 2012)
केवाईसी मानदंड एवं खाता खोलना
- स्वयं सहायता समूह का बचत बैंक खाता खोलते समय स्वयं सहायता समूह के सभी सदस्यों का केवाईसी सत्यापन करने की जरूरत नहीं, सभी पदाधिकारियों का केवाईसी सत्यापन करना पर्याप्त होगा। स्वयं सहायता समूहों के ऋण संयोजन के समय केवाईसी सत्यापन के संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि चूंकि बचत बैंक खाता खोलते समय केवाईसी सत्यापन किया गया है, अतः खाता परिचालन में रहेगा और ऋण संयोजन के लिए इसका उपयोग किया जाना चाहिए, सदस्यों अथवा पदाधिकारियों का अलग से केवाईसी सत्यापन करने की जरूरत नहीं। (6 अप्रैल 2013 का ई-परिपत्र एनबीजी/बीओडी/केवाईसी/1/2013-14)
सेवा/निरीक्षण/प्रोसेसिंग शुल्क
- 25,000 रुपए तक के प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र ऋणों पर कोई भी ऋण संबंधी एवं तदर्थ सेवा शुल्क/निरीक्षण शुल्क नहीं लिए जाने चाहिए। स्वयं सहायता समूहों/संयुक्त देयता समूहों को प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के पात्र ऋणों के मामले में यह सीमा प्रत्येक सदस्य पर लागू होगी और न कि पूरे समूह पर।
दस्तावेजीकरण
- (i) स्वयं सहायता समूह द्वारा ऋण सहायता हेतु आवेदन
- (ii) व्यवस्था पत्र
- (iii) स्वयं सहायता समूहों के वित्तपोषण हेतु करार ज्ञापन जो प्राधिकृत प्रतिनिधियों द्वारा निष्पादित किए गए हो।
- (iv) स्वयं सहायता समूह के सभी सदस्यों द्वारा परस्पर करार निष्पादित किया जाना चाहिए।
- (v) मांग प्रोमिसरी नोट एवं टेक डेलीवरी नोट पत्र
- (vi) गैर सरकारी संगठन/स्वयं सहायता संवर्धन सस्थाओं द्वारा प्रायोजित स्वयं सहायता समूहों के आवेदनों के मामले में प्रयोजन का पत्र शाखा को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
लिंकेज हेतु स्वयं सहायता समूहों के चयन के समय विचार किए जाने वाले अन्य विषय
- (i) ग्राम पंचायत के नेता आमतौर पर स्वयं सहायता समूहों के पदाधिकारी अथवा नेता न हो।
- (ii) स्थानीय प्राधिकारी से किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप न हो।
- (iii) किसी भी ऋण सहायता पर विचार करने से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि परियोजना में हिस्सा लेने के लिए स्वयं सहायता समूह के पास आवश्यक क्षमता है। आवश्यक होने पर शाखा गैर सरकारी संगठन की सहायता से बही खाता रखने, वित्तीय प्रबंधन, आय सृजन गतिविधियों आदि का प्रशिक्षण स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को दे सकती है। समूह के पास संतोषजनक आंतरिक बचत एवं कम से कम छह महीनों की ऋण गतिविधि होनी चाहिए।
Last Updated On : Tuesday, 20-04-2021
ब्याज दर
2.70% प्रति वर्ष.
10 करोड़ रुपए से कम, 15.10.2022 से प्रभावी
3.00% प्रति वर्ष.
10 करोड़ रुपए व अधिक, 15.10.2022 से प्रभावी
2.70% प्रति वर्ष.
रु 10 करोड़ से कम शेष राशि
3.00% प्रति वर्ष.
रु 10 करोड़ और अधिक शेष राशि
7.00%
2 वर्ष से 3 वर्ष से कम तक
6.50%
5 वर्ष से अधिक और 10 वर्ष तक
विविध गतिविधियां
कृषि क्लिनिक और कृषि व्यवसाय केंद्र की स्थापना
Agri Infrastructure Fund Scheme (AIF- Scheme)
Animal Husbandry Infrastructure Development Fund (AHIDF)
PM Formalization of Micro Food Processing Enterprises (PMFME Scheme)
PM – KUSUM Scheme (Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha Evam Utthan Mahabhiyan Scheme) A
PM – KUSUM Scheme (Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha Evam Utthan Mahabhiyan Scheme) B and C
Criteria
- Features
- Eligibility
- Terms and Conditions
ब्याज दर
2.70% प्रति वर्ष.
10 करोड़ रुपए से कम, 15.10.2022 से प्रभावी
3.00% प्रति वर्ष.
10 करोड़ रुपए व अधिक, 15.10.2022 से प्रभावी
2.70% प्रति वर्ष.
रु 10 करोड़ से कम शेष राशि
3.00% प्रति वर्ष.
रु 10 करोड़ और अधिक शेष राशि
7.00%
2 वर्ष से 3 वर्ष से कम तक
6.50%
5 वर्ष से अधिक और 10 वर्ष तक