कार्य और कर्तव्य - Corporate Governance
कार्य और कर्तव्य
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 (1) (ख) के अनुसरण में स्व प्रेरणा से प्रकटीकरण
धारा 4 (1) (ख) : कार्य और कर्तव्य :
जनता संबंधित जानकारी के लिए बैंक की वेबसाइट में हमारे बारे में, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955 एवं संगठनात्मक संरचना खंड देख सकती हैं।
धारा 4 (1) (ख) (ii) : उसके अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अधिकार एवं कर्तव्य
सभी अधिकारियों को उनके पद के आधार पर कतिपय वित्तीय अधिकार एवं प्रशासनिक अधिकार हैं। विभिन्न श्रेणी के अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों के प्रत्यायोजन (डेलीगेशन) का निर्णय केंद्रीय बोर्ड द्वारा लिया जाता है, जो समय-समय पर संगठन की जरूरत एवं भारत सरकार/भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार संशोधित किए जाते हैं। प्रत्येक प्रस्ताव के गुणों के आधार पर संबंधित संस्वीकृतिकर्ता प्राधिकारी ऋण देने या न देने का निर्णय लेता है।
धारा 4 (1) (ख) (iii) : भारतीय स्टेट बैंक में पर्यवेक्षण एवं जवाबदेही के चैनल सहित निर्णय लेने की प्रक्रिया में अपनाई जाने वाली कार्यविधि
निर्णय लेने की प्रक्रिया के बारे में बैंक में सुस्पष्ट प्रणाली विद्यमान है। विभिन्न स्तरों पर विभिन्न अधिकारियों द्वारा उनके पद के आधार पर और समिति दृष्टिकोण के जरिए वित्तीय निर्णय लिए जाते हैं। वैयक्तिक खंड के ऋणों एवं एसआईबी खंड के अंतर्गत ऋणों की संस्वीकृति के लिए कतिपय केंद्रों पर केंद्रीकृत ऋण प्रक्रिया कक्षों की स्थापना की जा रही है। आवेदन शाखाओं में प्राप्त किए जाएंगे और उन्हें संबद्ध ऋण प्रक्रिया कक्षों को विचार करने हेतु अग्रेषित करेंगी। इसके अलावा स्पष्ट संगठनात्मक संरचना एवं जवाबदेही तथा नियंत्रण प्रणाली की स्पष्ट प्रणाली मौजूद है, जो भारतीय रिज़र्व बैंक/केंद्रीय सतर्कता आयोग के दिशानिर्देशों को भी ध्यान में रखती है।
धारा 4 (1) (ख) (iv) : अपने कार्यों के निष्पादन हेतु भारतीय स्टेट बैंक द्वारा तय किए गए मानदंड
बैंक निम्नलिखित प्रमुख मूल्यों/मानदंडों के साथ कार्य करता है
- उत्कृष्ट ग्राहक सेवा
- लाभोन्मुखता
- सभी कार्यों एवं संबंधों में निष्पक्षता
- जोखिम लेना एवं नवोन्मेषन
- ईमानदारी
- नीतियों एवं प्रणालियों में पारदर्शिता एवं अनुशासन
जहां तक बैंक के मूल कार्यों अर्थात जमाराशियाँ स्वीकार करने और ऋण देने का संबंध है, जमाराशियों/अग्रिम एवं विभिन्न जमा एवं ऋण उत्पादों की ब्याज दरों को बैंक की वेबसाइट में दर्शाया जाता है और सभी शाखाओं में प्रदर्शित भी किया जाता है।
जहां तक ऋणों की संस्वीकृति का संबंध है, बैंक का प्रत्येक अधिकारी प्रस्तावों के गुण-दोषों के आधार पर ऋण प्रस्तावों पर विचार करता है और अधिकारों के प्रत्यायोजन (डेलीगेशन) की योजना की शर्तों के अनुसार निर्णय लेता है। बैंक के सभी अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे ईमानदारी एवं पर्याप्त सावधानी के साथ अपने कार्य एवं जिम्मेदारियों को पूरा करें।
जनता और किसी भी अतिरिक्त जानकारी के लिए बैंक की वेबसाइट के "‘ब्याज दरें’", "‘सदाचार संहिता’" एवं "‘नागरिक चार्टर’" शीर्ष देख जा सकते हैं। वे संबंधित उत्पादों की विस्तृत जानकारी के लिए बैंक की वेबसाइट के निम्नलिखित शीर्ष भी देख सकते हैं।
- वैयक्तिक बैंकिंग Personal Banking
- कृषि/ग्रामीण Agricultural / Rural
- अनिवासी भारतीय सेवाएँ NRI Services
- अंतर्राष्ट्रीय International
- कॉरपोरेट बैंकिंग Corporate Banking
- सेवाएँ Services
- सरकारी एजेंसियां Government Agencies
- लघु एवं मध्यम उद्यम SME
धारा 4 (1) (ख) (v) : बैंक के पास उपलब्ध नियम एवं विनियम, अनुदेश, मैनुअल एवं बैंक द्वारा धारित/उसके कर्मचारियों द्वारा अपने कार्यों के निर्वहन हेतु प्रयुक्त अभिलेख
मैनुअल, अनुदेशावली (बुक ऑफ इंस्ट्रक्शंस), कोडीफाइड परिपत्र, अधिकारों के प्रत्यायोजन (डेलीगेशन) की योजना, बोर्ड की कार्यवाही एवं उसके कर्मचारियों द्वारा विभिन्न कार्यों के निर्वहन हेतु प्रयुक्त आवधिक परिपत्र जैसे कई दस्तावेज़ हैं।
धारा 4 (1) (ख) (vi) : किन श्रेणियों के दस्तावेज बैंक द्वारा या उसके नियंत्रणाधीन रखे जाते हैं, उनका विवरण
ये मुख्य रूप से शेयरधारकों के रजिस्टर/वार्षिक महासभा, बोर्ड की बैठकों एवं विभिन्न समितियों की बैठकों की कार्यवाहियों के अभिलेख, ग्राहकों/उधारकर्ताओं/गारंटीकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़, अन्य व्यक्तियों के साथ की गई संविदाएँ होती हैं।
धारा 4 (1) (ख) (vii) : भारतीय स्टेट बैंक में अपनी नीति के निर्धारण अथवा कार्यान्वयन के संबंध में आम जनता के साथ परामर्श अथवा प्रतिनिधित्व के लिए विद्यमान किसी व्यवस्था के विवरण
वर्तमान व्यवस्था के अनुसार शेयरधारक संबंधित नीतियों से संबंधित मामले और वार्षिक महासभा में वे मामले उठा सकते हैं, जो बैंक की नीति से संबंधित हैं।
इसके अलावा आम जनता एवं शेयरधारकों की सूचना के लिए बैंक के तिमाही परिणाम एवं वार्षिक परिणाम/रिपोर्ट बैंक की वेबसाइट में आवधिक रूप से उपलब्ध कराए जाते हैं, जिनसे बैंक की नीतियों एवं कार्यान्वयन की जानकारी मिलती है। इसके अलावा केंद्रीय बोर्ड जो बैंक का शीर्षस्थ प्रबंधन निकाय है, का गठन उन सदस्यों को शामिल करके किया जाता है, जो विभिन्न हित समूहों एवं व्यवसायों के नेतृत्वकर्ता होते हैं जैसे कि उद्योगपति, शीर्षस्थ संस्थानों के बैंकर, सनदी लेखाकार, अर्थशास्त्री एवं कर्मचारियों के प्रतिनिधि। जनता और अधिक जानकारी के लिए बैंक की वेबसाइट के वित्तीय परिणाम/समेकित वित्तीय विवरण/वार्षिक रिपोर्ट/शेयरधारक सूचना शीर्ष भी देख सकती है।
धारा 4 (1) (ख) (viii) : दो अथवा दो से अधिक व्यक्तियों से युक्त समितियां एवं अन्य निकाय जिनकी बैठकों में जनता सहभागिता कर सकती है या नहीं कर सकती है
- जोखिम प्रबंधन समिति
- ऋण जोखिम प्रबंधन समिति
- आस्ति देयता प्रबंधन समिति
- परिचालन जोखिम प्रबंधन समिति
- लेखापरीक्षा समिति
- केंद्रीय प्रबंधन समिति
- केंद्रीय एवं स्थानीय बोर्ड
उपर्युक्त समिति की बैठकों में जनता भाग लेने की पात्र नहीं है और इसके कार्य विवरण जनता के लिए उपलब्ध नहीं होंगे। जनता विभिन्न समितियों की अतिरिक्त जानकारी के लिए वार्षिक रिपोर्ट विशेषकर वार्षिक रिपोर्ट के अंतर्गत दिए गए कॉरपोरेट अभिशासन लिंक को भी देख सकती है।
धारा 4 (1) (ख) (ix) : भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की निर्देशिका (डाइरेक्टरी)
चूंकि कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक होती है और उनका स्थानांतरण होता है, अतः अधिकारियों/कर्मचारियों की सूची प्रकाशित करना और उसे समय-समय पर अद्यतन करना बैंक के लिए संभव नहीं। बैंक के किसी अधिकारी अथवा कर्मचारी के बारे में जानकारी प्राप्त करने का इच्छुक कोई भी व्यक्ति इस मामले में सीएपीआईओ से संपर्क कर सकता है। जनता के उपयोग के लिए कार्यालयों/शाखाओं की सूची भी वेबसाइट में उपलब्ध है। निकटतम सीएपीआईओ की जानकारी के लिए जनता बैंक की वेबसाइट में ‘शाखा लोकेटर’ शीर्ष देख सकती है।
धारा 4 (1) (ख) (x) : भारतीय स्टेट बैंक के नियमों में दिए गए अनुसार वेतन व्यवस्था सहित उसके प्रत्येक अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा प्राप्त मासिक पारिश्रमिक
जनता बैंक की वेबसाइट में ‘सूचना का अधिकार अधिनियम’ के अंतर्गत वेतन व्यवस्था सहित "‘अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा प्राप्त मासिक परिश्रमिक’" शीर्ष देख सकती है।
धारा 4 (1) (ख) (xi) : उसकी प्रत्येक एजेंसी को आबंटित बजट जिसमें सभी योजनाओं के प्रस्तावित व्यय एवं संवितरण की रिपोर्ट सूचित हो।
सार्वजनिक धन के व्यय की कोई योजना एवं बजट नहीं है और ये प्रावधान भारतीय स्टेट बैंक पर लागू नहीं हैं।
धारा 4 (1) (ख) (xii) : आबंटित राशियों एवं ऐसे कार्यक्रमों के लाभार्थियों के विवरण सहित सब्सिडी कार्यक्रमों को लागू करने की विधि
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र ऋणान्वयन के लक्ष्यों को छोड़कर ऋणान्वयन के लिए कोई भी सब्सिडी कार्यक्रम अथवा योजनाएँ नहीं हैं। बैंक की कई अग्रिम योजनाएँ हैं और इनकी शर्तें एवं निबंधन पहले से ही बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
धारा 4 (1) (ख) (xiii) : बैंक द्वारा दी गई रियायतों, परमिटों अथवा प्राधिकारों का विवरण
रियायतें/परमिट/प्राधिकार प्रदान करने के लिए बैंक में कोई भी कार्यक्रम नहीं है और इस प्रावधान से संबंधित कोई भी सामग्री बैंक में उपलब्ध नहीं है।
धारा 4 (1) (ख) (xiv) : इलेट्रॉनिक रूप में उपलब्ध अथवा भारतीय स्टेट बैंक द्वारा धारित सूचना का विवरण
जमाराशियों, बैंक द्वारा दिए जाने वाले अग्रिमों एवं अन्य सेवाओं की सामान्य जानकारी पहले से ही बैंक की निम्नलिखित वेबसाइटों पर उपलब्ध है https://www.sbi.co.in & https://bank.sbi. आवश्यक जानकारी के लिए जनता उपर्युक्त वेबसाइट देख सकती है।
धारा 4 (1) (ख) (xv) : भारतीय स्टेट बैंक में जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध पुस्तकालय अथवा पठन कक्ष, यदि कोई है तो उसके कार्य समय सहित नागरिकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं के विवरण
टोल फ्री नंबरों/टेलीफोन नंबरों की सूची पहले से ही वेबसाइट में उपलब्ध है। जनता और अधिक जानकारी के लिए निकटतम सीएपीआईओ से संपर्क कर सकती है। भारतीय स्टेट बैंक में जनता के अवलोकन के लिए उपलब्ध हेल्पलाइन/टोल फ्री नंबरों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए जनता बैंक की वेबसाइट में ‘कस्टमर केयर’ शीर्ष देख सकती है।
धारा 4 (1) (ख) (xvi) : जन सूचना अधिकारियों के नाम, पदनाम एवं अन्य विवरण
जनता बैंक की वेबसाइट में ‘सूचना का अधिकार अधिनियम’ के अंतर्गत ‘लोक सूचना अधिकारियों, सहायक लोक सूचना एवं अपील प्राधिकारी के नाम एवं पदनाम’ देख सकती है।
अधिनियम के अंतर्गत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करना
जानकारी मांगने वाला व्यक्ति अपने प्रार्थना पत्र को निकटतम एसीपीआईओ (एसबीआई शाखाओं के सभी शाखा प्रबंधकों को एसीपीआईओ नामित किया गया है) को प्रस्तुत करेगा। एसीपीआईओ सूचना देने अथवा अधिनियम के अंतर्गत अनुमति अनुसार अन्यथा के लिए संबंधित सीपीआईओ को प्रार्थना पत्र अग्रेषित करेगा। अधिनियम के अनुसार जानकारी केवल भारत के नागरिकों के लिए ही दी जा सकती है। सूचना के लिए प्रार्थना पत्र/ अनुरोध में नागरिक की स्थिति के साथ नवीनतम डाक पता, टेलीफोन नंबर, फैक्स नंबर, ई-मेल पता इत्यादि जैसे संपर्क विवरण तथा तृतीय पक्ष जानकारी के मामले में, व्यक्ति/ इकाई के साथ उसका संबंध क्या है, की जानकारी शामिल होनी चाहिए।
प्रार्थना पत्र कैसे भेजा जाए
i) यदि आवेदनकर्ता गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी से नहीं है तो आरआईए की धारा 6 (1) के अंतर्गत सूचना के लिए उसका प्रार्थना पत्र उचित रसीद सहित नकद या "भारतीय स्टेट बैंक" के पक्ष में देय डीडी या बैंकर के चैक के माध्यम से 10/- रु. के आवेदन शुल्क के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए। उपर्युक्त ड्राफ्ट/बैंकर्स चैक के साथ प्रार्थना पत्र जनता/ आवेदक द्वारा निकटतम शाखा प्रमुख (एसीपीआईओ) (जो संबंधित सीपीआईओ को अग्रेषित करेगा) या सीधे संबंधित सीपीआईओ को प्रस्तुत किया जाएगा। वैकल्पिक रूप से 10/- रु. की फीस का भुगतान एसबीआई की किसी भी शाखा में पी&टी खाते में नकद जमा करके किया जा सकता है और भुगतान की पावती काउंटरफ़ाइल को और आवेदन के लिए संलग्न किया जा सकता है। 10/- की फीस का निर्धारण सरकार किया गया है, तथा इसके भुगतान मात्र से आवेदनकर्ता मांगी गई ऐसी सूचना के लिए अपने आप पात्र नहीं बन जाता। सूचना का खुलासा सीपीआईओ द्वारा अनुरोध की संवीक्षा तथा अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के अधीन होगा।
ii) यदि आवेदन एसीपीआईओ को प्रस्तुत किया गया है, तो एसीपीआईओ प्रार्थना पत्र की जाँच करेगा, उसे क्रम अनुसार निर्धारित रजिस्टर में दर्ज करेगा, इसमें क्रम संख्या, आवेदक का विवरण/ प्राप्ति की तारीख/ संबंधित सीपीआईओ/ शुल्क का विवरण इत्यादि होगा। भविष्य के संदर्भ के लिए आवेदक को पावती दी जाएगी।
सूचना देने में बैंक को कितना समय लगेगा
i) यदि आवेदन उपरोक्तानुसार आवेदक की उचित जानकारी तथा आवश्यक शुल्क सहित प्रस्तुत किया गया हो तो सीपीआईओ, अधिनियम के अंतर्गत आवश्यकता अनुसार आवेदन पर विचार करेगा।
ii) यदि मांगी गई सूचना किसी अन्य सीपीआईओ/ सार्वजनिक प्राधिकारी के पास उपलब्ध है और सूचना की विषय वस्तु उसके कार्य से जुड़ी है, तो पीआईओ अनुरोध को 5 दिनों के भीतर प्रार्थन पत्र को अन्य सीपीआईओ/ सार्वजनिक प्राधिकारी को हस्तांतरित कर देगा तथा आवेदनकर्ता को तुरंत सूचित करेगा।
iii) सीपीआईओ, अनुरोध प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर या निर्धारित फीस/ शुल्क के भुगतान पर जानकारी उपलब्ध करा देगा या अधिनियम की धारा 8/9 के अंतर्गत अनुरोध को अस्वीकार कर देगा।
iv) यदि सीपीआईओ निर्दिष्ट अवधि के भीतर अनुरोध पर निर्णय देने में विफल रहता है, तो माना जाएगा कि उसने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है।
सूचना प्राप्त करने के लिए कोई अन्य प्रभार
सूचना का अधिकार (शुल्क और लागत का विनियमन) नियम, 2005 के अनुसार, सार्वजनिक प्राधिकरण (बैंक) शुल्क लेगा:
- (ए -4 या ए -3 आकार के कागज के) प्रत्येक पृष्ठ या उसकी कॉपी के लिए 2/- रु.;
- बड़े आकार के कागज की कॉपी का वास्तविक शुल्क या लागत मूल्य;
- नमूने या मॉडल के लिए वास्तविक लागत या मूल्य; तथा
- अभिलेखों के निरीक्षण के लिए, पहले घंटे के लिए कोई शुल्क नहीं; और उसके बाद के घंटे (या उसके अंश) के लिए 5/ - रु. का शुल्क।
इसके अलावा, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 (5) के अंतर्गत जानकारी प्रदान करने के लिए जन प्राधिकारी निम्नलिखित शुल्क लेगा:
- 50/- रु. प्रति डिस्केट या फ्लॉपी; तथा
- मुद्रित रूप में प्रदान की गई जानकारी के लिए प्रकाशन के लिए निर्धारित मूल्य या प्रकाशन के सारांश की फोटोकॉपी के लिए प्रति पृष्ठ 2/- रु. ।
यदि बैंक के संबंधित सीपीआईओ के पास सूचना है
तथा वह आपको सूचना उपलब्ध करा सकता है तो उचित फीस के साथ प्रार्थना पत्र प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर वह सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 7 (1) के अंतर्गत सूचना देगा कि तो आवेदनकर्ता को सूचना उपलब्ध कराने की लागत क्या है।
सूचना कब दी जाएगी
जब संबंधित सीपीआईओ सूचना देने का निर्णय ले लेता तथा सूचना उपलब्ध कराने के लिए निर्धारित शुल्क का भुगतान प्राप्त कर लेता तो जनता को सूचना दे दी जाती है।
क्या सीपीआईओ सूचना देने से माना कर सकता है?
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 8 व 9 के अंतर्गत कुछ श्रेणी की सूचना को दिए जाने से छूट प्राप्त है, इनमे से निम्नलिखित बैंकों के लिए प्रासंगिकत हो सकती हैं।
- यदि किसी सूचना को स्पष्ट रूप से किसी न्यायालय या न्यायाधिकरण द्वारा प्रकाशित करने से मना किया गया है अथवा जिसके प्रकटीकरण से न्यायालय की अवमानना हो सकती हो।
- व्यावसायिक विश्वसनीयता, व्यापार गोपनीयता या बौद्धिक संपदा सहित सूचना, जिसका प्रकटीकरण किसी तीसरे पक्ष की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति को हानि पहुंचाए, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी संतुष्ट न हो कि ऐसी सूचना का प्रकटीकरण व्यापक जनहित में आवश्यक है;
- किसी व्यक्ति को उसकी न्यासी क्षमता में उपलब्ध जानकारी, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी संतुष्ट न हो कि ऐसी सूचना का प्रकटीकरण व्यापक जनहित में आवश्यक है;
- ऐसी सूचना जो किसी अपराध की जाँच या आशंका या अभियोजन की प्रक्रिया को बाधित करती हो ;
- ऐसी सूचना जो किसी की व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित हो, जिसके प्रकटीकरण का संबंध किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से न हो, या जो किसी निजता में अनुचित हस्तक्षेप का कारण हो।
बैंक का सीपीआईओ किसी जानकारी को देने से मना कर सकता है, यदि उसे लगता है कि इस प्रकार की जानकारी उपर्युक्त प्रावधानों में से किसी के अंतर्गत आती है।
अपील के अधिकार के बारे में बताएँ
यदि कोई व्यक्ति, संबंधित सीपीआईओ द्वारा प्रदान की गई जानकारी या मांगी गई जानकारी प्रदान न करने के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो वह सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत अपील प्राधिकारी को अपील कर सकता है।
यदि कोई नागरिक अपीलीय प्राधिकार के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो उसे क्या करना चाहिए
अधिनियम के अंतर्गत, यदि कोई नागरिक भारतीय स्टेट बैंक के अपीलीय प्राधिकारी के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो वह सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अध्याय 3 के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित/ नियुक्त किए गए केंद्रीय सूचना आयुक्त को अपील कर सकता है।
Last Updated On : Thursday, 25-01-2024
ब्याज दर
2.70% प्रति वर्ष.
से प्रभावी>3.00% प्रति वर्ष.
10 करोड़ रुपए व अधिक, 15.10.2022 से प्रभावी
2.70% प्रति वर्ष.
रु 10 करोड़ से कम शेष राशि
3.00% प्रति वर्ष.
रु 10 करोड़ और अधिक शेष राशि