Cyber Security - Personal Banking
Cyber Frauds
जागरूक रहें और साइबर धोखाधड़ी से सुरक्षित रहें
हाल के दिनों में, बैंकिंग पूर्णतया डिजिटल प्रक्रिया में परिवर्तित हो गई है और आज यह हमारी उंगलियों पर हर समय उपलब्ध है| डिजिटल बैंकिंग में बदलाव और विस्तार के साथ – साथ साइबर सुरक्षा बैंकों के लिए ध्यान देने का केंद्र है| भारतीय स्टेट बैंक अपने ग्राहकों को डिजिटल सुरक्षा और सावधानी सुनिश्चित करते हुए बेहतर डिजिटल अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है|
हम वह अनुभव प्रदान करने लिए प्रतिबद्ध है, जो सुरक्षित और सहज है, हम आपसे जिम्मेदार और सतर्क रहने का अनुरोध करते हैं|
किसी भी साइबर घटना को रिपोर्ट करने के लिए, कृपया report.phishing@sbi.co.in पर ईमेल करें या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें। अधिक जानकारी के लिए, https://cybercrime.gov.in/ पर जाएं।
क्लिक करने से पहले सोचें और #SafeWithSBI रहें।
हम आपको और आपकी जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए सभी आवश्यक उपाय करते हैं।
सुरक्षित प्लेटफॉर्म:
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सेशन लेयर सिक्योरिटी:
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लॉगिन सिक्योरिटी:
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प्रोफ़ाइल सिक्योरिटी:
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ट्रांसफर सिक्योरिटी:
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सूचनाएं:
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मोबाइल ऐप सुरक्षा:
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एंड टू एंड सिक्योरिटी:
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ट्रांसक्शन मॉनिटरिंग:
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कस्टमर केयर:
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आइए साइबर अपराध से मिलकर मुकाबला करें और गर्व से #IAmResponsible कहें।
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लॉगिन सिक्योरिटी:
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इंटरनेट सिक्योरिटी:
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UPI सिक्योरिटी:
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डेबिट/क्रेडिट कार्ड सिक्योरिटी:
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मोबाइल बैंकिंग सिक्योरिटी:
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सोशल मीडिया सिक्योरिटी:
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फ़िशिंग
फिशिंग कपटपूर्ण वह तकनीक है जिसमें लॉगिन आईडी और पासवर्ड, डेबिट/क्रेडिट कार्ड विवरण, पिन, जन्म तिथि और मोबाइल नंबर आदि निजी जानकारी धोखे से प्राप्त की जाती है| आजकल होने वाले सोशल इंजीनियरिंग हमलों मे सबसे ज्यादा मामले फिशिंग के होते हैं।
अधिकाँश फिशिंग हमले निम्न उद्देश्य से किये जाते हैं:
- संक्षिप्त या भ्रामक लिंक का उपयोग करके व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, पता, बैंक खाता विवरण, पैन, आधार आदि प्राप्त करना।
- उपयोगकर्ता को भय, लोभ तथा जल्दबाजी के लिए उकसा कर तुरंत कार्रवाई करने के लिए मजबूर करना।
फ़िशिंग हमलों के विशिष्ट उदाहरण
- एसबीआई ग्राहक श्री अरुण को रैंडम नंबर से एक एसएमएस प्राप्त होता है, जिसमे उन्हें एक लिंक (“hssp://8ef628b4602c.ngrok[.]io/sbibank”) पर क्लिक करके KYC अपडेट करने के लिए कहा जाता है अन्यथा, उनका डेबिट कार्ड ब्लॉक कर दिया जाएगा।
- उन्होंने तुरंत एसएमएस पर कार्रवाई की और अपने केवाईसी को अपडेट करने के लिए लिंक पर क्लिक किया।
- क्लिक करने पर जो वेबपेज दिखाई दिया वह एसबीआई की वेबसाइट के जैसा लग रहा था, हालांकि वह एक फर्जी वेबसाइट थी। श्री अरुण ने फर्जी वेबसाइट के एड्रेस बार (यूआरएल) की त्रुटि पर ध्यान नहीं दिया और अज्ञात स्रोतों से प्राप्त लिंक पर क्लिक न करने की बैंकों की सलाह पर ध्यान देने में भी विफल रहे । श्री अरुण ने अपना आईएनबी क्रेडेंशियल (यूजरनेम और पासवर्ड) के साथ- साथ अपना ओटीपी भी उस फर्जी वेबसाइट पर दर्ज कर दिया।
- उस फर्जी वेबसाइट ने उन्हें अगले पेज पर रीडायरेक्ट कर दिया जहां उन्होंने अपना मोबाइल नंबर और प्रोफाइल पासवर्ड भी साझा कर दिया।
- अब जालसाज को श्री अरुण की पूरी संवेदनशील जानकारी ज्ञात हो गयी जिससे जालसाज उनके खाते में धोकाधड़ी लेनदेन करने में सक्षम हो गया।
फ़िशिंग हमलों से बचने के श्रेष्ठ तरीके
- किसी भी अनजान हाइपरलिंक या मेल अटैचमेंट पर क्लिक न करें।
- भेजने वाले की पहचान या प्रामाणिकता की जांच करें।
- वैध वेबसाइट की पुष्टि के लिए यूआरएल (website address) की जांच अवश्य करें।
- मेल से प्राप्त सन्देश में टाइपिंग और व्याकरण की अशुद्धियों पर ध्यान दें ।
- हमेशा याद रखें, बैंक कभी भी आपकी निजी जानकारी नहीं मांगता है।
- लुभावने ऑफरों से सावधान रहें।
विस्तृत जानकारी के लिए देखें
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आइए साइबर अपराध से मिलकर मुकाबला करें और गर्व से #IAmResponsible कहें।
विशिंग
विशिंग, फिशिंग का एक वॉयस फॉर्म है जहां फोन कॉल्स पर धोखाधड़ी की जाती है। इसमें टेलीफोन का उपयोग कर निजी जानकारी बताने के लिए मजबूर किया जाता है और धोखाधड़ी को अंजाम दिया जाता है। धोखाधड़ी करने वाला आमतौर पर एक वैध इकाई का कर्मचारी होने का दिखावा करता है और व्यक्ति को फुसला कर या धमकी देकर धोखा देने का प्रयास करता है।
विशिंग हमलों के विशिष्ट उदाहरण
- ओटीपी/सीवीवी धोखाधड़ी - अपराधी बैंक ग्राहकों को ठगने के लिए ओटीपी/ सीवीवी पूछकर या ग्राहक को Quick support, AnyDesk, TeamViewer, etc जैसे रिमोट एक्सेस एप्स डाउनलोड करने के लिए प्रेरित करके स्मार्टफोन तक पहुंच बनाकर ओटीपी/ सीवीवी को पढ़ लेते है।
- लॉटरी धोखाधड़ी - जालसाज कॉल करके कहते हैं कि आपने लॉटरी की बड़ी राशि जीती है। लॉटरी के पैसे प्राप्त करने के लिए आपको फर्जी वेबसाइट के एक लिंक पर क्लिक कर अपनी व्यक्तिगत जानकारी देने के लिए कहा जाता है। ऑफर स्वीकार करने के लिए टोकन के रूप मे कुछ पैसे ट्रांसफर करने के लिए बताया जाता है। एक बार जब आप अपना विवरण भरकर उन वेबसाइटों के माध्यम से भुगतान करने की कोशिश करते हैं तो आपकी सभी व्यक्तिगत जानकारियां और वित्तीय विवरण चोरी कर लिए जाते हैं।
- आयकर रिफंड धोखाधड़ी - साइबर अपराधी फोन कॉल्स के जरिए आयकर रिफंड प्राप्त करने का लालच देकर बैंक ग्राहकों को निशाना बनाते हैं। इस तरह धोखे से ग्राहकों के संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी एकत्र किए जाते हैं।
- केवाईसी धोखाधड़ी - साइबर अपराधी ग्राहकों को अपने केवाईसी विवरण अपडेट करने के लिए लिंक पर क्लिक करने के लिए कहते हैं। इस तरह के कॉल इस धमकी के साथ किए जाते हैं कि अगर आप अभी अपना केवाईसी अपडेट नहीं करते हैं तो आपका खाता ब्लॉक हो जाएगा।
विशिंग हमलों से बचने के लिए इन उपायों का पालन करें: :
- हमेशा फोन करने वाले के पहचान की पुष्टि करें।
- अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर कोई भी अनजान सॉफ्टवेयर इंस्टॉल न करें।
- अवांछित बिक्री, मार्केटिंग या अन्य संदेशों का जवाब न दें।
- फोन पर ओटीपी, एटीएम पिन, सीवीवी शेयर न करें।
- SBI कभी भी आपके बैंक खाते, डेबिट/क्रेडिट कार्ड का विवरण, सीवीवी नंबर आदि की जानकारी नहीं मांगता।
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स्मिशिंग
स्मिशिंग में भी फिशिंग की तरह ही यूजर्स को लुभाने के लिए मोबाइल फोन टेक्स्ट मेसेज का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे सन्देश आपके मोबाइल पर मैसेज संदेशों के रूप में भेजे जाते हैं जो वैध संस्थाओं से होने का दावा करते हैं और अन्य तकनीकों के साथ मिलकर अक्सर प्रणाली सुरक्षा को बाईपास करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। जालसाज फोन पर अवैध वेबसाइटें क्लिक करने के लिए भी कह सकते हैं।
स्मिशिंग हमलों के विशिष्ट उदाहरण
स्मिशिंग हमलों से बचने के तरीके:
- व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी मांगने वाले टेक्स्ट संदेशों से सावधान रहें।
- टेक्स्ट मैसेज पर कोई संवेदनशील जानकारी साझा न करें।
- एसएमएस से प्राप्त किसी भी लिंक पर क्लिक न करें।
- सहायता के लिए कृपया बैंक को कॉल करें या केवल आधिकारिक वेबसाइटों पर जानकारी का संदर्भ लें।
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मोबाइल सुरक्षा
आजकल मोबाइल पर बैंकिंग लेनदेन करने के लिए स्मार्ट फोन और ऐप आधारित सेवाओं का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। यह बेहद सुविधाजनक है, लेकिन, हमें अपने मोबाइल एप्लीकेशनों के उपयोग में, विशेष रूप से वित्तीय लेनदेन करते समय, अधिक सावधान रहने की जरूरत है ।
मोबाइल फोन के सुरक्षित उपयोग के सर्वोत्तम उपाय:
- अपने फोन पर मजबूत पासवर्ड/बायोमेट्रिक अनुमति सक्रिय की जानी चाहिए।
- दुरुपयोग से बचने के लिए अपने सिम कार्ड को पासवर्ड(PIN) से लॉक रखें।
- मोबाइल डिवाइस गुम या चोरी होने पर सिम कार्ड को तुरंत ब्लॉक करने के लिए अपने सेवा प्रदाता से संपर्क करें।
- अपना बैंक खाता नंबर या पिन कभी भी मोबाइल फोन पर स्टोर न करें।
- अपने मोबाइल पर एंटी वायरस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें और उसे अपडेट रखें।
- अपने मोबाइल में इंस्टाल किए गए महत्वपूर्ण ऐप्स के लिए दी गई अनुमतियों की नियमित रूप से निगरानी करें और अनावश्यक और अप्रयुक्त ऐप्स पर ध्यान देते रहें।
- कभी भी जेलब्रोकन या रूट किए गए मोबाइल उपकरणों पर बैंकिंग ऐप्स का उपयोग न करें।
- मोबाइल फोन को सार्वजनिक वायरलेस नेटवर्क से जोड़ने से बचें।
- मोबाइल फोन गुम हो जाने पर बैंक को रिपोर्ट करें ताकि पिन और मोबाइल बैंकिंग ऐप के माध्यम से बैंक खाते तक पहुंच को निष्क्रिय किया जा सके।
विस्तृत जानकारी के लिए देखें
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डिजिटल अरेस्ट घोटाला
नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) ने ऐसी कई शिकायते दर्ज की हैं जिनमें साइबर अपराधी स्वयं को कानूनी प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारी बताकर धोखाधड़ी कर रहे हैं। ये धोखेबाज डराकर, ब्लैकमेल और "डिजिटल हाउस अरेस्ट" जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करके पीड़ितों को ठगते हैं।
डिजिटल हाउस अरेस्ट" घोटाले का संछिप्त परिचय:
इस घोटाले के अंतर्गत जालसाज़ अपने को कानूनी प्रवर्तन एजेन्सियों का अधिकारी बताते हैं और अपराधों की जांच का झूठा बहाना करके डिजिटल टूल्स और फर्जी सेटअप का उपयोग करते हुए पीड़ितों को डराते हैं ताकि वे कानूनी मुसीबतों से बचने के लिए पैसे भेजने पर मजबूर हो जाएं।
घोटाले का तरीका:
- ये धोखेबाज वास्तविक दिखने के लिए फर्जी पुलिस स्टेशन और वर्दी का उपयोग करते हैं और वीडियो कॉल के लिए स्काइप, टेलीग्राम या व्हाट्सएप जैसी प्लेटफार्मों का इस्तेमाल करते हैं।
- वे झूठा दावा करते हैं कि उन्होंने पीड़ित के नाम पर भेजे गए पार्सल में अवैध वस्तुएं, जैसे ड्रग्स या फर्जी पासपोर्ट, पाई गयी हैं।
- कभी-कभी, वे यह भी दावा करते हैं कि पीड़ित मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल है और उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।
- पीड़ितों के आधार, पैन और सिम जैसी व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग कर उन्हें फर्जी कानूनी मामलों और गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है।
- पीड़ितों को इन काल्पनिक समस्याओं को हल करने के लिए पैसे भेजने पर मजबूर किया जाता है और उन्हें वीडियो कॉल पर बनाए रखते हुए "डिजिटल अरेस्ट" का अनुभव कराया जाता है जब तक कि वे पैसे ट्रांसफर नहीं कर देते।
ग्राहकों के लिए सलाह:
- कॉलर की पहचान सत्यापित करें: हमेशा कॉलर की पहचान की जांच करें जिसके लिए संबंधित कानूनी प्रवर्तन एजेंसी की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित संपर्क विवरण का उपयोग करके उनसे संपर्क स्थापित करें।
- अपनी जानकारी को सुरक्षित रखें: जब तक कॉलर की प्रमाणिकता की पूरी तरह से पुष्टि न हो, तब तक फोन या वीडियो कॉल पर व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी साझा न करें।
- पैसे न भेजें: ऐसी कॉल या धमकियों के आधार पर पैसे भेजने से बचें।
- संदिग्ध कॉल की रिपोर्ट करें: किसी भी संदिग्ध कॉल या घोटाले की अपने स्थानीय साइबर पुलिस अधिकारियों को तुरंत रिपोर्ट करें।
- मदद लें: घटना की रिपोर्ट साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करें या सहायता के लिए www.cybercrime.gov.in पर विजिट करें।
फर्जी निवेश घोटाला
भारतीय रिजर्व बैंक ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे व्हाट्सएप, टेलीग्राम और फर्जी ऐप्स के माध्यम से फर्जी निवेश घोटालों की बढ़ती घटनाओं के बारे में सचेत किया है।
फर्जी निवेश घोटाले का संछिप्त परिचय:
इस घोटाले के अंतर्गत धोखेबाज व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे प्लेटफार्मों पर फर्जी निवेश समूह बनाते हैं और स्वयं को वित्तीय विशेषज्ञ के रूप में प्रस्तुत करते हैं। वे पीड़ितों को पहले मुफ्त स्टॉक टिप्स और निवेश के अवसरों का लालच देते हैं और फिर उन्हें नकली ट्रेडिंग ऐप्स का उपयोग करने के लिए बहकाते हैं। पीड़ित द्वारा निवेश करते ही उन्हें अपने फंड निकालने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और धोखेबाज पैसे लेकर गायब हो जाते हैं।
घोटाले का तरीका:
- धोखेबाज पीड़ितों को कई फर्जी निवेश समूहों में जोड़ते हैं, जहां वे किसी काल्पनिक स्टार निवेशक का बढ़ा-चढ़ाकर प्रचार करते हैं और आकर्षक अवसरों के बारे में बात करते हैं।
- पीड़ितों को मुफ्त स्टॉक टिप्स और निवेश सलाह दी जाती है, जो शुरुआत में काफी आकर्षक लगते हैं।
- धोखेबाज पीड़ितों को कोई फर्जी ट्रेडिंग एप्लिकेशन डाउनलोड करने का निर्देश देते हैं, जो देखने में वास्तविक लगता है परन्तु असल में धन चुराने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- कुछ टिप्स से समूह के सदस्यों को फायदा होता है, जिससे भरोसा बढ़ता है और वे अधिक निवेश के लिए प्रेरित होते हैं।
- जब पीड़ित अपने फंड निकालने का प्रयास करते हैं या संदेह जताते हैं, तो उनके खाते निष्क्रिय कर दिए जाते हैं, समूह बंद हो जाता है और धोखेबाज पैसे लेकर गायब हो जाते हैं।
ग्राहकों के लिए सलाह:
- निवेश अवसरों की जाँच करें: हमेशा विश्वसनीय वित्तीय सलाहकारों और संस्थानों के माध्यम से निवेश के अवसरों का पता लगाएं और उनकी जाँच करें।
- ऐप्स के साथ सतर्क रहें: अज्ञात स्रोतों से निवेश ऐप्स डाउनलोड न करें। केवल भरोसेमंद प्लेटफार्मों जैसे गूगल प्ले स्टोर या ऐप स्टोर से ही ऐप्स डाउनलोड करें।
- व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें: अज्ञात संपर्कों या ऑनलाइन समूहों के साथ व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी साझा न करें।
- अनचाही सलाह से बचें: सोशल मीडिया समूहों या अज्ञात स्रोतों से आने वाली अनचाही निवेश सलाह और प्रस्ताव से सतर्क रहें।
- मदद लें: सहायता के लिए या घटना की रिपोर्ट करने हेतु साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें या www.cybercrime.gov.in पर विजिट करें।
बैंक खातों का परिचालन एवं मनी म्यूल
- क. मनी म्यूल लेनदेन में, बैंक में खाता रखने वाले व्यक्ति को चेक या वायर ट्रांसफर द्वारा जमाराशि प्राप्त करने के लिए रखा जाता है और कुछ निर्धारित कमीशन देकर इन निधियों को किसी अन्य व्यक्ति की ओर से रखे खाते में या किसी अन्य व्यक्ति के खातों में अंतरित किया जाता है। मनी म्यूलों को विभिन्न तरीकों से भर्ती किया जा सकता है, जिसमें स्पैम ई-मेल, वास्तविक भर्ती वेबसाइटों पर विज्ञापन, सोशल नेटवर्किंग साइट, इंस्टेंट मेसेजिंग और समाचार पत्रों में विज्ञापन शामिल हैं। पकड़े जाने पर, मनी म्यूल अक्सर अपने बैंक खातों में लेनदेन करना बंद कर देते हैं, जिससे असुविधा और संभावित वित्तीय नुकसान होता है और धोखाधड़ी का हिस्सा होने के लिए संभावित कानूनी कार्रवाई का सामना भी किया जाता है। कई बार ऐसे मनी म्यूलों का पता और संपर्क विवरण फर्जी या अप-टु-डेट नहीं पाया जाता है, जिससे प्रवर्तन एजेंसियों के लिए खाताधारक का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
- ख. हमारे ध्यान में लाया गया है कि धोखाधड़ी योजनाओं (जैसे, फ़िशिंग और पहचान की चोरी) से प्राप्त राशि को वैध बनाने के लिए अपराधियों द्वारा "मनी म्यूलों" का उपयोग किया जा सकता है। अपराधी "मनी म्यूलों" के रूप में कार्य करने के लिए तीसरे पक्ष की भर्ती करके जमा खातों तक अवैध पहुंच प्राप्त करते हैं। कुछ मामलों में ये तीसरे पक्ष निर्दोष हो सकते हैं जबकि कुछ मामलों में वे अपराधियों के साथ मिलीभगत कर सकते हैं।
- ग. ऐसे मनी म्यूल खातों के प्रचालनों को कम करने के लिए हमारे बैंक को धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंडों/धन शोधन-रोधी (एएमएल) मानकों/आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला (सीएफटी)/बैंकों की बाध्यता संबंधी दिशानिर्देशों का अनुपालन करना है। इसलिए, हमें समय-समय पर जारी किए गए केवाईसी/एएमएल/सीएफटी संबंधी दिशानिर्देशों और खाता खोले जाने के बाद ग्राहक पहचान डाटा के आवधिक अपडेशन से संबंधित दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करना होगा और ऐसे धोखेबाजों द्वारा खुद को और हमारे ग्राहकों का दुरुपयोग से बचाने के लिए लेन-देन की निगरानी भी करनी होगी।
इसलिए अपने सम्मानित ग्राहकों से, हम अपील करते हैं कि ऐसे धोखेबाजों का मुकाबला करने में हमारा सहयोग करें। इस तरह के मनी म्यूल लेनदेन को रोकने के लिए केवाईसी और अन्य ग्राहक पहचान डाटा का नियमित अपडेशन कर हमारा सहयोग करें।
साइबर सुरक्षा के लिए क्या करें, एवम, क्या न करें
- साइबर सुरक्षा जागरूकता पुस्तिका- 2023
- क्या करें, एवम क्या न करें – अंग्रेज़ी
- क्या करें, एवम क्या न करें – हिन्दी
- क्या करें, एवम क्या न करें – बंगाली
- क्या करें, एवम क्या न करें – गुजराती
- क्या करें, एवम क्या न करें – कन्नड़
- क्या करें, एवम क्या न करें – मराठी
- क्या करें, एवम क्या न करें – ओरिया
- क्या करें, एवम क्या न करें – तामिल
- क्या करें, एवम क्या न करें – तेलगु
- क्या करें, एवम क्या न करें – मलयालम
- क्या करें, एवम क्या न करें – पंजाबी
SBI के नाम पर सब्सिडी देने वाली फर्जी वेबसाइट से रहें सावधान
UPI से संबंधित धोखाधड़ी पर जागरूकता
इंटरनेट बैंकिंग से संबंधित धोखाधड़ी पर जागरूकता
साइबर सुरक्षा जागरूकता पुस्तिका- 2023
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Last Updated On : Tuesday, 19-11-2024
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