उ. वित्तीय पट्टा पूँजी लागत वाले उपकरणों के वित्तपोषण का एक साधन है। यह पट्टेदार की आवश्यकता के अनुरूप और उसकी पसंद के निर्माता/आपूर्तिकर्ता के पास से चुनी गई एक विशिष्ट आस्ति को किराए पर लेने के लिए बैंक (पट्टाकर्ता) और ग्राहक (पट्टेदार) के बीच एक अनुबंध है। पट्टेदार के पास आस्ति का कब्ज़ा होता है और निर्दिष्ट किराए और अन्य सामान्य प्रभार/शुल्क के भुगतान पर उसका उपयोग करता है, जबकि पट्टाकर्ता के पास संपत्ति का स्वामित्व होता है। सभी जोखिम (बड़े या छोटे) और स्वामित्व के अधिकार सामान्य रूप से पट्टेदार को अंतरित किए जाते हैं और बाध्यताएँ अनिस्तरणीय हैं। पट्टेदार को बीमा, रखरखाव और अन्य संबंधित लागत और पट्टे पर दिए गए उपकरणों का खर्च वहन करना होता है।
प्र. उधारकर्ता को पट्टे के क्या फायदे हैं ?
उ.उधारकर्ता को पट्टे के लाभ निम्नानुसार हैं;
कुछ परिस्थितियों में पट्टा वित्त मियादी जमा की तुलना में सस्ता हो सकता है।.
100% वित्त पोषण - आम तौर पर पट्टे में किसी मार्जिन की आवश्यकता नहीं होती है जबकि मियादी ऋण आमतौर पर 30% से 50% का मार्जिन निर्धारित होता है। * भुगतान की शर्तें बेहद लचीली - पट्टेदार के नकदी प्रवाह के अनुसार संरचित।
पट्टा एक तुलन-पत्रेतर वित्तपोषण विकल्प है, जो विस्तार, विविधीकरण एवं आधुनिकीकरण के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने की क्षमता बढ़ाता है।
मियादी जमा आदि की तुलना में पट्टा सहायता की संस्वीकृति के लिए मुख्य समय बहुत कम है।
सरल प्रलेखन।
प्र. अन्य पट्टाकर्ताओं की तुलना में एसबीआई से पट्टा वित्त प्राप्त करने के क्या फायदे हैं ?
उ.आमतौर पर एसबीआई से पट्टा प्राप्त करने पर पट्टेदार को निम्नलिखित लाभ होंगे;
पट्टेदार को पट्टे के अंतर्गत बहुत ही प्रतिस्पर्धी लागत आएगी।
बैंक के पास उपलब्ध व्यापक संसाधनों के परिणामस्वरूप बड़ी राशि वाले पट्टे सृजित करने की एसबीआई की क्षमता।
बैंक एक समर्पित कार्यालय के माध्यम से पट्टा सहायता प्रदान करता है, जो कि एक पूर्णत: कम्प्यूटरीकृत वातावरण में अनुभवी अधिकारियों द्वारा प्रबंधित किया जाता है, जिसे ग्राहक को सर्वोत्तम सेवाएँ उपलब्ध होती हैं।