प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्न प्रॉजेक्ट अपटेक - Faq's
प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्न प्रॉजेक्ट अपटेक
प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्न प्रॉजेक्ट अपटेक
उ. प्रौद्योगिकी उन्नयन, एक राष्ट्रीय प्राथमिकता निम्न के लिए आवश्यक है:
- भारतीय उद्योग का नियोजित विकास
- अप्रचलन को रोकना
- डिज़ाइन और विकसित
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा और निर्यात को बढ़ाना
- ऊर्जा सरंक्षण
- भारत के प्रमुख बैंक के रूप में, हमारी इस प्रक्रिया में योगदान देने की ज़िम्मेदारी है।
- यह आवश्यकता विशेष रूप से छोटे और मध्यम स्तर के औद्योगिक क्षेत्र में देखी जाती है, जिनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
- हमारी हमेशा एसएसआई क्षेत्र में विशेष रुचि होती है, जिसमें हमारा निवेश बहुत व्यापक है।
- ऋण वितरण के लिए एक नवोन्मेषी मूल्यवर्धन।
- यह गतिविधि हमारी आस्तियों की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करेगी; ताकि गैर-निष्पादक आस्तियों को कम करने के हमारे प्रयासों को रणनीतिक सहायता मिले।
उ. * हमारे एसएसआई ग्राहक से हमारी निकटता: दीर्घावधि वित्तपोषण के अनुभव के माध्यम से।
- हमारी परामर्श (कंसल्टेंसी) क्षमताएँ - परामर्श में हमारे अधिकारी हैं
- इंजीनियर/एमबीए/विज्ञान/प्रबंधन परामर्श में प्रशिक्षित स्नातकोत्तर
- हमारी संपर्क क्षमता - विशेषज्ञों/आर एंड डी संस्थानों की पहचान करना और उनके साथ काम करना।
अन्य एजेंसियों/परामर्शदाताओं के विपरीत, हम एक व्यापक पैकेज की पेशकश करते हैं:
परामर्श
बी) ग्राहक को दैनंदिन वार्तालाप के माध्यम से जानना, उसकी क्षमताओं, बाज़ार और वातावरण के अनुरूप प्रौद्योगिकी योजना बनाना और व्यवसाय योजना तैयार करना और
- सी) परियोजना का वित्तपोषण करना और इसके कार्यान्वयन में सहायता करना
ए. परियोजना का डिज़ाइन स्थान एवं उद्योग विशिष्ट है
हम एक उद्योग क्लस्टर का चयन करते हैं, जिसमें है
- एक ही स्थान पर समान इकाइयों की संख्या (सरल प्रशासन के लिए)
- त्वरित तकनीकी उन्नयन की क्षमता
- एक सहयोगपूर्ण वातावरण
- विकास क्षमता (जानकार उद्योगपति, तकनीकी संस्थानों के आस-पास आदि)
इसके बाद,
- तकनीकी-आर्थिक जानकारी एकत्र करें
- सर्वेक्षण; नमूना अध्ययन; प्रौद्योगिकी के स्तर का आकलन और तकनीकी उन्नयन के लिए संभावित दायरा
- उद्योगपतियों और अन्य एजेंसियों के साथ बातचीत
- सूचना प्रसारित करने के लिए संगोष्ठी का आयोजन करें
- विशेषज्ञों द्वारा इकाई स्तरीय अध्ययन का संचालन करना
- ्रत्येक इकाई के लिए एक उपयुक्त व्यवसाय योजना और वित्तीय पैकेज विकसित करना
- जहाँ (उद्योग-स्तर) उत्पाद सुधार/विस्तार कार्य का संकेत दिया गया है और संभव है, वहाँ सहायक एजेंसियों के माध्यम से हस्तक्षेप का प्रयास
उ. * जानकारी एकत्र करना और उसका प्रसार करना
- अन्य एजेंसियों/फर्मों के साथ एक सर्वेक्षण/बातचीत के माध्यम से उद्योग पर जानकारी एकत्र करें
- केंद्र में एक तकनीकी संगोष्ठी के माध्यम से सूचना का प्रसार
व्यक्तिगत इकाइयों के लिए व्यापक परामर्श अध्ययन
- संसाधनों का प्रबंधन - तकनीकी और प्रबंधन दोनों विशेषज्ञ (बैंक के परामर्श प्रकोष्ठ के अधिकारियों और/या बाहर के विशेषज्ञों से युक्त एक विशेष कार्य बल) - व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन करने और तकनीकी और प्रबंधकीय सुधारों का सुझाव देने के लिए - प्रत्येक इकाई के लिए उपयुक्त एक व्यवसाय योजना विकसित करना
उद्योग/उत्पाद स्तरीय हस्तक्षेप
- उत्पाद विकास, उत्पाद मानकीकरण और विस्तार कार्य के उद्देश्य से संस्थागत/सामूहिक प्रयासों का समर्थन करना
उ. रौद्योगिकी उन्नयन के लिए आवश्यक निवेश के सभी क्षेत्रों पर विचार किया जाता है उदाहरण के लिए उत्पादकता में सुधार के लिए सहायता, गुणवत्ता नियंत्रण और परीक्षण उपकरण, विशेष प्रयोजन मशीनें, कम लागत आधारित स्वचालन, कंप्यूटर, उत्पाद विकास, परामर्श आदि।
वित्त पोषण निम्न के द्वारा किया जाता है:
ए) 18 महीने की स्टार्ट-अप अवधि के साथ बैंक की सामान्य मध्यावधि ऋण
बी) बैंक की इक्विटी फंड योजना। नई इकाइयों के लिए 1978 में आरंभ, अपटेक इकाइयों के लिए भी विस्तारित
विशेषताएँ :
- निवल ब्याज
- स्टार्ट-अप अवधि: 3 वर्ष
- चुकौती: 5 से 7 वर्ष
- उपकरण में नए निवेश के लिए प्रवर्तक के अंशदान के समान राशि
- रु. 1 लाख की अधिकतम सीमा
सी) उपयुक्त कार्यशील पूँजी संस्वीकृत की जाती है
उ. * यह सीमित संसाधनों के साथ भी अधिकतम प्रभाव डालता है
- एक समान इकाइयों में कीमत-लागत अंतर का प्रभाव
- ्रभाव का आसान मूल्यांकन
उ. * हमारा प्रयास है कि क्लस्टर को समग्र रूप से अपग्रेड किया जाए। हालांकि, कार्य बल संसाधनों के सीमित होने के कारण, हम स्वाभाविक रूप से, इसे अपने ग्राहकों तक ही सीमित रखते हैं।
उ. * एसआईटीएआरसी (लघु उद्योग परीक्षण एवं अनुसंधान केंद्र, कोयंबतूर) कोयंबतूर में लघु एवं मध्यम उद्योगपतियों द्वारा स्थापित एक संस्था है। आईडीबीआई ने उन्हें बुनियादी ढांचे के लिए वित्त पोषित (25 लाख रुपये) किया है
- हमारे द्वारा आवंटित परियोजनाएँ पंपों का डिज़ाइन, मानकीकरण और प्रोटोटाइप विकास करती हैं। आधुनिक फाउंड्री और मशीन शॉप परंपरा में शॉप-फ्लोर कार्मिकों का पुन: प्रशिक्षण।
- परियोजना की प्रगति:
- 3 और 5 एच.पी. श्रेणी में ऊर्जा और लागत प्रभावी पंपसेट डिज़ाइन और विकसित किए गए उद्योग द्वारा व्यावसायिक उपयोग के लिए लांच किए गए।
- कार्मिकों का पुन: प्रशिक्षण
- इस कार्यक्रम में पंपसेट उद्योग से संबंधित फाउंड्री, मशीन शॉप, असेंबली और परीक्षण प्रक्रियाओं के सभी प्रमुख प्रक्रिया क्षेत्र शामिल हैं।
- लगभग 250 श्रमिकों को प्रशिक्षित किया गया है। स्थानीय भाषा में दो मैनुअल, वीडियो फिल्में आदि तैयार की गई हैं
उ. जी हाँ। सफलतापूर्वक पूरा किया गया। स्थानीय उद्योगपतियों ने परियोजना और क्लस्टर पर इसके प्रभाव का स्वागत किया है। सांख्यिकीय
- 40 इकाइयों का अध्ययन किया गया है
- इन योजनाओं के फलस्वरूप आधुनिकीकरण के लिए उपकरणों में 6.00 करोड़ का निवेश हुआ है।.
वित्तपोषण (बैंक के व्यवसाय में भी वृद्धि)
मियादी ऋण |
4.17 करोड़ |
ईएफएस |
रु. 0.37 करोड़ |
अतिरिक्त डब्ल्यूसी |
अतिरिक्त कार्यशील पूँजी |
- ऊर्जा की बचत
- कपोला पिघलाने के लिए एक बेहतर तकनीक लाई गई (विभाजित विस्फोट): 30% ईंधन की बचत, पिघलने और उत्पादकता की उच्च दर (लागत: रु.20,000)
- लगभग 90 अभी परिचालन में हैं, एक साल में अकेले कोक में रु.120 लाख की बचत।
- आईएसआई (बीआईएस) प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में तेज़ी से वृद्धि
कोल्हापुर ऑटो/डीज़ल इंजन घटकों का आधुनिकीकरण
- 80 इकाइयों का विस्तृत सर्वेक्षण, 46 यूनिट-स्तरीय अध्ययन किए गए।
- प्रौद्योगिकी, प्रबंधन, निर्यात, गुणवत्ता आदि पर कई संगोष्ठियाँ आयोजित की गईं।
- आधुनिक उपकरण में कुल निवेश: रु. 7.82 करोड़
- हमारा सहयोग :
मीयादी ऋण |
रु. 5.74 करोड़ |
ईएफएस |
रु. 0.37 करोड़ |
अतिरिक्त डब्ल्यूसी |
रु. 1.89 करोड़ |
- फाउंड्री और मशीन शॉप में सुधार
- विशेष प्रयोजन मशीनों को डिज़ाइन करना
- खराद उत्पादकता आदि में सुधार के लिए सीएनसी रेट्रोफिट काम पर लगाए गए।
पलक्कड़, केरल
चावल के हुल्लर्स का आधुनिकीकरण
- यह एक महत्वपूर्ण कृषि आधारित उद्योग है; हालाँकि, बहुत सारी प्रक्रिया और उपकरण आधुनिकीकरण हो चुका है, लेकिन उन्हें भारत में अधिकांश मिलर्स द्वारा नहीं अपनाया गया है (लगभग 1 लाख हुल्लर मिलें विद्यमान हैं; केवल लगभग 40,000 आधुनिक/आधुनिकीकृत चावल मिलें)
- इसलिए, इस दिशा में किए गए प्रयासों को मज़बूत करने की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है
उ. *पायलट प्रॉजेक्ट, सीएसआईआर के साथ समन्वय में
- 100 इकाइयों के माध्यम से प्रदर्शन
- रबड़ रोल शेलर जोड़कर आधुनिकीकरण का पहला कदम। इसके परिणामस्वरूप टूटे हुए चावल में कमी आती है, चोकर और भूसी को अलग किया जाता है। साथ ही भूसी चावल की भूसी के तेल के विलयक निष्कर्षण के लिए कच्चे माल के रूप में वाणिज्यिक उपयोग के लिए भी उपलब्ध हो जाती है।
उ. *निवेश का स्तर छोटा है - प्रति दिन 3 टन तक का प्रसंस्करण करने वाली हुल्लर इकाई के लिए रु. 30,000
- एसबीआई से रु.20,000 के मियादी ऋण और सीएसआईआर से रु.10,000 की रियायत के समावेश से।
- प्रभाव अध्ययनों से पता चला है कि 100 प्रदर्शन इकाइयों ने प्रसंस्कृत धान से अपनी आय में लगभग रु.345 प्रति टन की दर से वृद्धि की है, जिसके परिणामस्वरूप ज़िले को प्रति वर्ष रु.150 लाख रुपये की अतिरिक्त आय हुई है।
उ. सभी 100 इकाइयों ने योजना को लागू किया है। अधिकांश इकाइयों ने अतिरिक्त रियायत की माँग किए बिना रु.30,000 से रु. 1.95 लाख (औसतन : रु. 98,000) तक का आधुनिकीकरण निवेश किया है।
इस योजना को और अधिक मिलों तक पहुँचाने का अनुरोध है।
आगरा-फेरस फाउंड्री प्रॉजेक्ट::
- समर्पित प्रॉजेक्ट अपटेक कार्यालय
- 50 इकाइयों का सर्वेक्षण पूरा हुआ
- 23 इकाइयों में फर्म-स्तरीय अध्ययन किया गया
- योजना के तहत पूँजी परिव्यय: रु. 351 लाख।
वित्तपोषण
मीयादी ऋण |
रु. 275 लाख |
ईएफएस |
रु. 21 लाख |
अतिरिक्त डब्ल्यूसी |
रु. 206 लाख |
प्रदूषण नियंत्रण पर ध्यान
- प्रदर्शन परियोजना: मानक, सिद्ध, प्रदूषण नियंत्रण उपकरण के लिए उद्योग की आवश्यकता पर प्रतिक्रिया देते हुए, बैंक ने आंशिक चुकौती अनुदान के माध्यम से आगरा में दो कपोला पर प्रदूषण नियंत्रण उपकरण की डिजाइन और संस्थापन की व्यवस्था की है।
- एसपीएम स्तर 2096 एमजी/एनएम3 से 200 एमजी/एनएम3 तक नीचे लाया गया (उ.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा परीक्षण)
फिरोज़ाबाद – काँच उद्योगy
- एक कार्य बल, जिसमें बैंक के अधिकारी, ग्लास टेक्नोलॉजिस्ट्स और मैनेजमेंट कंसल्टेंट्स शामिल हैं
- तेरह मामलों में विस्तृत फर्म-स्तरीय अध्ययन।
- पूँजी परिव्यय रु.216 लाख
परिकल्पित वित्तपोषण
मियादी ऋण |
रु. 173 लाख |
ईएफएस |
रु. 11 लाख |
अतिरिक्त डब्ल्यूसी |
रु. 106 लाख |
- केंद्रीय काँच और सेरामिक अनुसंधान संस्थान, कोलकाता की सेवाएँ लेते हुए ज़मीनी स्तर पर सर्वेक्षण किया गया है
- भट्टियों, तेल से जलने वाली भट्टियों के बेहतर इन्सुलेशन, कोयला भट्टियों में प्रदूषण उन्मूलन के माध्यम से ऊर्जा क्षमता का प्रदर्शन
कार्यान्वयनाधीन परियोजनाएँ
पुणे में ऑटोमोबाइल घटक उद्योग का आधुनिकीकरण।
- जनवरी 1996 में परियोजना का उद्घाटन और तकनीकी संगोष्ठी।
- अध्ययन के लिए 44 इकाइयाँ चुनी गईं
- रु.794 लाख के निवेश की संस्तुति
- क्लस्टर में इकाइयों के लाभ के लिए विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर संगोष्ठियाँ आयोजित की गईं। इन सेमिनारों में आईआईएम, बेंगलूरू, आईआईटी, मुंबई, एपेक्स मैनेजमेंट कंसल्टिंग ग्रूप प्रा. लिमिटेड, आदि ने भाग लिया।
- आधुनिक निर्माण प्रणालियों के बारे में जानने के लिए सीएमटीआई, एफईएसटीओ कंट्रोल्स, एनटीटीएफ बेंगलूरू, मेसर्स पॉलिहाइड्रॉन प्रा.लि., बेलगाँव के प्रतिनिधिमंडल के दौरे।
- क्लस्टर में आईएसओ प्रमाणन को लोकप्रिय बनाना और अन्यों को आईएसओ प्रमाणन के लिए प्रेरित करने के लिए बैंक की गुणवत्ता सहायता योजना के तहत पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित करना।
बैंगलूरू में ऑटोमोबाइल घटक उद्योग का आधुनिकीकरण
- अगस्त 1996 में परियोजना का उद्घाटन और तकनीकी संगोष्ठी।
- अध्ययन के लिए 20 इकाइयाँ चुनी गईं
- 715 लाख का निवेश प्रस्तावित।
- क्लस्टर की रुचि के विषयों पर संगोष्ठियाँ और कार्यशालाएँ।
- एमआईसीओ, अशोक लेलैंड, टीवीएस, बीईएमएल आदि की प्रतिभागिता में क्रेता-विक्रेता सभा का आयोजन।
- "अपटेक बुलेटिन" टास्क फोर्स द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक समाचार-पत्रिका है।
बेलगाम में फाउंड्री उद्योग का आधुनिकीकरण
- माँग संचालित परियोजना। कोल्हापुर की सफलता को देखते हुए बेलगाम परियोजना इकाइयों ने बेलगाम में एक परियोजना शुरू करने के लिए बेंगलूरू सर्कल से संपर्क किया। अक्टूबर 1997 में शुरू की गई।
- बैंक द्वारा वित्तपोषित 40 इकाइयों का सर्वेक्षण किया गया
- अब तक 14 इकाइयों का अध्ययन किया गया
- रु. 195 लाख का निवेश संस्तुत।
- क्लस्टर की रुचि के विभिन्न विषयों पर 6 संगोष्ठियाँ आयोजित।
- 6 इकाइयों में ऊर्जा लेखा परीक्षा हुई, परिणाम ऊर्जा की लागत में पर्याप्त बचत।
सामलकोट में साबूदाना क्लस्टर का आधुनिकीकरण
- विनिर्माण और कृषि को कवर करने वाली एक अनूठी परियोजना।
- 3 वर्षों की अवधि के लिए योजना बनाई गई अगस्त 1998 में शुरू की गई।
- तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए केंद्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान (सीटीसीआरआई), तिरुवनंतपुरम के साथ समझौता किया गया।
- 12 इकाइयों का अध्ययन किया
- रु.280 लाख का निवेश संस्तुत।
- क्लस्टर के लाभ के लिए 6 संगोष्ठियाँ आयोजित की गईं, जिनमें वेट ग्राइंडर, डीएसएम स्क्रीन, हाइड्रो-साइक्लोन रोस्टर सह ड्रायर और जल उपचार संयंत्र को कवर करते हुए उपकरण विनिर्माताओं की प्रस्तुतियों से युक्त तीन संगोष्ठियाँ शामिल हैं।
- मिलर्स के लिए प्रमुख साबूदाना क्लस्टर, सेलम का दौरा आयोजित किया गया।
- सेलम में विद्यमान सागोसर्व की तर्ज़ पर सहकारी विपणन संगठन की स्थापना में उत्प्रेरक भूमिका।
- रोस्टर और ड्रायर के प्रोटोटाइप का विकास। सीटीसीआरआई द्वारा परीक्षण किया जाना है।
- किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए सीटीसीआरआई और एएनजीआरएयू के वैज्ञानिकों और विस्तार अधिकारियों की भागीदारी के साथ 25 किसान सभाओं का आयोजन किया गया।
शुरू की गईं नई परियोजनाएँ
- आधुनिकीकरण की तत्काल आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए परियोजनाएँ शुरू की गईं।
- भोपाल में मशीनिंग और फैब्रिकेशन क्लस्टर का आधुनिकीकरण
- हावड़ा में फाउंड्री क्लस्टर का आधुनिकीकरण
शुरू की जाने की प्रक्रिया के अधीन परियोजनाएँ
- जमशेदपुर में ऑटो घटक उद्योग के लिए उन्नयन परियोजनाओं का शुभारंभ
- लुधियाना में होज़री क्लस्टर
- गोंदिया में चावल मिलिंग क्लस्टर
- सेलम में साबूदाना क्लस्टर
- एलेप्पी में कॉयर क्लस्टर
परियोजनाएँ जिन पर कार्य जारी है
- फरीदाबाद और गुड़गाँव में ऑटो घटक क्लस्टर
- लखनऊ सर्कल में चावल मिलिंग
- अहमदाबाद सर्कल में मोरवी में टाइल्स
उ. आईएसओ प्रमाणन प्राप्त करने की दिशा में लघु और मध्यम उद्यमों के प्रयासों में सहयोग देना। प्रमाणन प्रक्रिया सहित परामर्श की लागत का 85% तक निर्बाध मियादी ऋण।
1-1-96 को या उसके बाद आईएसओ प्रमाण-पत्र प्राप्त करने वालों के लिए रु.25000/- (या प्रमाणन की लागत का 25%, जो भी कम हो) का पुरस्कार। निर्यात इकाइयाँ, जो अपने काराबोर का कम से कम 25% निर्यात करती हैं, के लिए पुरस्कार 50,000/- रुपये तक जा सकता है। ये पुरस्कार पूरे भारत में पहली 225 इकाइयों या 70 लाख रुपये तक सीमित थे। मार्च 2000 तक लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है और 254 इकाइयों को रु.70 लाख का पुरस्कार दिया गया है।
उ. जी हाँ, यदि प्रौद्योगिकी प्रासंगिक और लाभकारी है (आमतौर पर ऐसा नहीं है)
उ. * हमारी पहली दो परियोजनाओं में नि: शुल्क
* आगरा और फिरोज़ाबाद में प्रति यूनिट रु.15,000 का मामूली शुल्क। पुणे और बेंगलूरू में रु.30,000 प्रति यूनिट तक बढ़ाया गया, सामलकोट परियोजना में रु.10,000 प्रति यूनिट और भोपाल में रु.15,000.
मान्यता
हम निम्न जैसी राष्ट्रीय स्तरीय प्रौद्योगिकी समितियों में नामित सदस्य हैं:
- काँच उद्योग विकास केंद्र की गवर्निंग काउंसिल
- कोयम्बटूर में यूएनडीपी/जीओआई पम्प सेंटर के लिए परियोजना संचालन समिति
- ्रक्रिया और उत्पाद विकास केंद्र, आगरा की गवर्निंग काउंसिल
- एसएसआई एवं एएंडआरआई मंत्रालय, भारत सरकार की राष्ट्रीय क्लस्टर विकास संचालन समिति का सदस्य।
प्रॉजेक्ट अपटेक ने भारत सरकार और यूएनडीपी के लिए निम्न के लिए शुल्क आधारित अध्ययन किए हैं:
- पंजाब के मंडी गोबिंदगढ़ में स्टील री-रोलिंग उद्योग के लिए विकास केंद्र का डिज़ाइन
- जीओआई और यूएनडीपी द्वारा वित्त पोषित छह इकाइयों के लिए जूट घटकों की तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता।
Last Updated On : Tuesday, 17-12-2019
ब्याज दर
2.70% प्रति वर्ष.
से प्रभावी>3.00% प्रति वर्ष.
10 करोड़ रुपए व अधिक, 15.10.2022 से प्रभावी
2.70% प्रति वर्ष.
रु 10 करोड़ से कम शेष राशि
3.00% प्रति वर्ष.
रु 10 करोड़ और अधिक शेष राशि